Paonta sahib : होली मेले में मोमोज़ और सिड्डू जैसे पारम्परिक व्यंजन बना आत्मनिर्भरता कायम कर रही रेणुका जी की कल्पना चौहान
पांवटा साहिब में आयोजित ऐतिहासिक होली मेले में मोमोज़ और सिड्डू जैसे पारम्परिक व्यंजन बना कर एक सशक्त और आत्मनिर्भरता की एक मिसाल रेणुका ज़ी की कल्पना चौहान द्वारा पेश की गई है।
स्वयं सहायता समूह *मसीहा* की महिलाएं मोमोज़ और सिड्डू बना रही हैं, जोकि एक प्रेरणादायक कहानी है जो महिलाओं की सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की भावना को दर्शाती है।
कल्पना द्वारा अपनी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अपने क्षेत्र में एक छोटे से व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए एक साथ आगे लाई हैं। वे मोमोज़ और सिद्धू जैसे लोकप्रिय व्यंजन बनाकर बेचने का काम करती हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिलती है।
इन महिलाओं की कहानी न केवल उनकी आर्थिक स्वतंत्रता की भावना को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे वे अपने समुदाय में एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
कल्पना शिमला जिला से सम्बन्ध रखती है और पिछले 4 वर्ष से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई है जिसमें वे विभिन्न प्रकार के व्यंजन, अचार, चटनी, हैंडीक्राफ्ट बना कर खुद के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार प्रदान करती हैं।
विशेष बात यह है कि इससे जुडी प्रत्येक महिला एक लाख रूपए सालाना कमा लेती है जो किसी न किसी रूप में प्रोडक्ट बनाने में अपनी भागीदारी दें रही है। इस ग्रुप की अन्य महिला द्वारा पांवटा साहब के विश्वकर्मा चौक पर 28 वर्षीय कंचना एक स्टॉल लगाकर प्रोडक्ट सेल कर रही है।
बता दें कि कल्पना चौहान ने ब्लॉक द्वारा एक महीने की अचार चटनी एवं अन्य पारंपरिक व्यंजन और मसाले बनाने की ट्रेनिंग ली और इसके बाद कल्पना ने चंडीगढ़ सरस फेयर में भी स्टॉल लगाया। जहां से कल्पना की अचार और मसाले की भारी डिमांड सामने आई।
यूं तो कल्पना पढ़ी-लिखी ग्रेजुएट है और पति शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी पर कार्यरत है बावजूद इसके कल्पना में आत्मनिर्भर बनने और अपने हुनर को निखारने की एक अलग ही प्रतिभा है।
कल्पना का मानना है कि महिला भले ही अनपढ़ हो या पढ़ी-लिखी उसे अपने अंदर छुपे हुए हुनर को पहचानने की ताकत होनी चाहिए, ताकि वह सशक्त और आत्मनिर्भर बनकर समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके।