Sirmaur News: रास्तों पर दो फीट तक बर्फ! फिर भी जान जोखिम में डाल चूड़धार पहुंच रहे श्रद्धालु
Sirmaur News: जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार पर भोले बाबा के दर्शनों को जाने के लिए श्रद्धालुओं में अभी से ही खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। हालांकि, मंदिर के कपाट बंद है बावजूद इसके श्रद्धालुओं के चूड़धार चोटी पर पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है।
Sirmaur News: रास्तों पर दो फीट तक बर्फ! फिर भी जान जोखिम में डाल चूड़धार पहुंच रहे श्रद्धालु
दरअसल, जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार के कपाट दिसम्बर 2023 से बंद है जोकि अब वैशाख संक्रांति के दिन ही खुलेंगे। चार माह बाद यानी अगले महीने से चूड़धार चोटी की यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है।
लेकिन इससे पहले ही चोटी पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। मौसम अनुकूल रहने के चलते भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। हालांकि देवता शिरगुल महाराज की तपोस्थली कही जाने वाली चूड़धार चोटी की यात्रा करना इन दिनों खतरे से खाली नहीं है।
क्योंकि रास्तों पर अभी भी दो से अढ़ाई फीट बर्फ जमी हुई है। रास्तों में बर्फ जमी होने से फिसलन का खतरा भी बरकरार है। बावजूद इसके श्रद्धालु अपनी जाम को जोखिम में डालकर बर्फ को पार करते हुए नौहराधार के रास्ते से जा रहे हैं।
दिसंबर से कपाट बंद
चूड़धार चोटी की यात्रा पर दिसंबर से शिरगुल मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लग जाता है। चूड़धार में विराजमान देवता शिरगुल जिला शिमला सहित सिरमौर तथा उत्तराखंड के जौनसार बाबर क्षेत्र के हजारों लोगों के आराध्य देव हैं।
अप्रैल से दिसंबर महीने तक इन क्षेत्रों के सैकड़ों लोग रोजाना अपने आराध्य देवता के दर्शनों हेतु पहुंचते हैं। लेकिन दिसंबर महीने में चूड़धार में अत्यधिक बर्फबारी के चलते जहां पारा माइनस से नीचे रहता है, वहीं चूड़धार के रास्तों पर यात्रा में अत्यधिक जोखिम रहता है। जिसके चलते दिसंबर माह में बर्फबारी के बाद चूड़धार यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
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