एनएसयूआई ने चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती पर क्रांतिकारी विचारों को किया नमन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक शहीद चंद्रशेखर ‘आज़ाद’ की जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। उनकी वीरता, साहस और बलिदान को आज भी युवा पीढ़ी प्रेरणा के रूप में याद करती है।
एनएसयूआई ने चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती पर क्रांतिकारी विचारों को किया नमन
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा गांव में हुआ था। वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के प्रमुख नेता रहे।
राम प्रसाद बिस्मिल और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ उन्होंने देश की आज़ादी के लिए कई अहम आंदोलन चलाए। सन् 1922 में गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापिस लेने के बाद आज़ाद का रुझान क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर हुआ।
काकोरी कांड (1925) और असेम्बली बम कांड (1929) जैसे ऐतिहासिक अभियानों में उनकी अहम भूमिका रही। लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने सॉण्डर्स को लाहौर में मार गिराया।
ब्रिटिश सरकार उन्हें पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थी। कहा जाता है कि उनकी खोज में 700 लोग तैनात थे। अंततः 27 फरवरी 1931 को एल्फ्रेड पार्क (अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क), प्रयागराज में उन्होंने आखिरी गोली खुद को मारकर शहादत दे दी।
आज के कार्यक्रम में एनएसयूआई के पूर्व प्रभारी मनोज चौहान सहित प्रियांशु शर्मा, प्रांजल तोमर, अंकित शर्मा, साक्षी, पीयूष, गुनगुन, गोल्डी तोमर व नवीन आदि मौजूद रहे। सभी ने उनके बलिदान को याद करते हुए क्रांतिकारी विचारों को अपनाने का संकल्प लिया।
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