पावर कट लगाने में हिमाचल प्रदेश देश में अव्वल, संसद में हुआ खुलासा
क्यों लगाने पड़ रहे हैं पावर कट, ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने बताया….
हिमाचल प्रदेश में पावर कट : 2020-21 में देश में पावर कट लगाने के मामले में हिमाचल प्रदेश पहले स्थान पर है। जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। इसी श्रृंखला में त्रिपुरा चौथे और हरियाणा पांचवें स्थान पर है। राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में इसका खुलासा हुआ है।
क्या है पूरा मामला, कैसे हुआ खुलासा…
8 फरवरी को राज्य सभा के दो सदस्यों तिरूची शिवा और राम कुमार वर्मा ने केंद्रीय विद्युत मंत्री से सवाल किया था कि कि देश में विद्युतीकृत गांवों में प्रतिदिन निरंतर बिजली आपूर्ति के औसत घंटे का ब्यौरा क्या है ? क्या सरकार के पास बिजली कटौती के कुल घंटो का ब्यौरा है ?
यदि हां, तो बीते तीन सालों में राज्य-वार क्या ब्यौरा है ? सरकार ने बिजली कटौती या बिजली की किल्लत को कम करने के लिए क्या उपाय किए हैं ?
इन प्रश्नों के उत्तर में विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने लिखित में जबाब दिया और राज्य वार ब्यौरा भी दिया।
यूपी जैसे राज्य पीछे हैं
विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह द्वारा दिए गए ब्यौरे के अनुसार, पावर कट लगाने में हिमाचल सरकार नंबर एक पर है। पावर कट लगाने में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2020-21 में ग्रामीण इलाकों में 2761 घंटे बिजली गुल रही, जबकि शहरी इलाकों में मात्र 91 घंटे पावर कट लगा। पावर कट लगाने में तीसरे नंबर पर कर्नाटक है, नंबर चार पर त्रिपुरा है और हरियाणा 5वें नंबर पर है।
हैरानी की बात है कि कई राज्यों को अपनी बिजली से रौशन करने वाला हिमाचल प्रदेश में बीते 3 साल में सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इतनी बार बिजली काटी है कि अगर उसका औसत निकालें तो हर साल औसतन 100 दिन तक बत्ती गुल रही।
साल 2020-21 में हिमाचल के गांवों में 2 हजार 980 घंटे के पावर कट लगे, जबकि प्रदेश के शहरी इलाकों में मात्र शहरी इलाकों में मात्र 54.75 घंटे ही बिजली गुल रही। जो दस्तावेज सामने आए हैं, उससे ये पता चल रहा है कि पावर कट का ये सिलसिला पिछले तीन साल से जारी है।
हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी बता रहे हैं कि क्यों लगते हैं पावर कट….
हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि ये सच है, लेकिन पावर कट लगाने के कई कारण हैं। हिमाचल में सैकड़ों पन विद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। 33 केबी, 220 केबी के कई सब स्टेशन बन रहे हैं।
बीते एक साल में प्रदेशभर में सरकार ने 30 हजार बिजली को पोल बदले हैं। 850 नए ट्रांसफार्मर लगवाएं, 23 सब स्टेशन अपग्रेड किए हैं. इसके अलावा सालभर मरम्मत कार्य किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन सब कार्यों के लिए लाइट बंद करनी पड़ती है।
बीते तीन साल में हिमाचल में बिजली के क्षेत्र में सुधारीकरण का कार्य हुआ है। कठिन भौगोलिक परिस्थिती होने के चलते ग्रामीण इलाकों में कई तरह की समस्याएं होतीं हैं। बर्फबारी और भारी बारिश से भी नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में बिजली के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। प्रदेश में 11 हजार मेगावाट बिजली पैदा होती है और 25 हजार मेगावाट की क्षमता का दोहन किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि जहां कार्य होता है वहां इस तरह की समस्याएं आती हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही हिमाचल जीरो पावर कट स्टेट बन जाएगा।