नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने किया बड़ा खुलासा….
खुलासे के बाद सरकार ने आनन फानन में रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के आदेश….
न्यूज़ घाट/ऊना
हिमाचल प्रदेश में गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन का महाघोटाला सामने आया है। जिसमें धनासेठों की बेशक़ीमती गाड़ियां फर्ज़ीबाड़े के दम पर देवभूमि में रजिस्टर की गई हैं। ये कोरोनाकाल का बड़ा कारनामा है।
हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपनी फेसबुक वॉल पर पूरे मामले की जानकारी शेयर करते हुए अहम खुलासा किया है।
अपनी फेसबुक पर पोस्ट अपडेट करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने बता की प्रदेश में क़रीब 5 हज़ार के करीब आस पास की गाड़ियाँ हिमाचल में रजिस्टर हुई जिस में करोड़ो में दलाली बनती है ?
उन्होंने सवाल उठाया कि आख़िर कौन इस गोरख धंधे के पीछे मौजूद है ? उन्होंने आरोप लगाया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को धत्ता दिखा कर दलाली के दम पर यह धंधा हुआ है।
कैसे चला दलाली का धंधा….
उन्होंने फोटोग्राफ शेयर करते हुए कहा कि पालमपुर थाने के बाहर खड़ी चन्द गाड़ियाँ जिनमें मर्सिडीज़, बीएम डब्ल्यू जैसी गाडियां शामिल हैं। इनकी क़ीमत दो-दो करोड़ की है। यह तो पालमपुर का ट्रेलर है। ऐसा हिमाचल में बहुत स्थानो पर हुआ।
दलालों ने हर गाड़ी की फ़ाइल सिरे चढ़ाने में दो से तीन लाख की दलालियाँ ली और दलाली की राशि की ज़ाहिर तौर पर बंदर बांट हुई।
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नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की उनके द्वारा मामला उठाने के बाद हिमाचल सरकार ने ऐसी गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का आदेश आनन फ़ानन कर दिया।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या फ़र्ज़ीबाड़े से रजिस्टर सब गाड़ियों को सरकार ज़ब्त करेगी ? जो देश के कई कोनों में चल रही और हिमाचल प्रदेश कि फ़र्ज़ी पत्ता देकर प्रदेश में रजिस्टर हुई।
क्या इसका भांडाफोड़ के लिए इसकी जाँच सीबीआई को सौंपी जाएगी ? इस घोटाले में सरकार को भी राजस्व का भारी भरकम चूना लगा है।
कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला….
बहरहाल मामला यह है कि सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश दिए कि पिछले साल 31 मार्च के बाद बेची गई BS-4 गाड़ियों का पंजीकरण ना किया जाए।
मगर यह गाड़ियाँ जो कबाड़ की श्रेणी में जानी थी, उन्हें हिमाचल में BS-6 के दस्तावेज दिखा कर रजिस्टर करवा लिया गया।
यही नहीं बेशक़ीमती दो से तीन करोड़ की गाड़ियों के फार्म नम्बर 21 एवं 22 बदल दिए और उसे 25-30 लाख तक दिखा राजस्व की चोरी की गई।
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असली काग़ज़ों की जगह सकेंडहैंड दस्तावेज लगा दिए गए। काँगड़ा ज़िले में ऐसा सब से अधिक होने की सूचनाएं हैं।
गाड़ी के दाम ओने-पोने दर्ज करने से जीएसटी का नुक़सान भी सरकार को हुआ है।
क्या है नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के सवाल….
घोटालेबाजों ने हिमाचल को इस लिए चुना क्यूँकि उस समय हिमाचल में तीन फ़ीसदि वाहन पंजीकरण शुल्क था। इस लिए ये खुला खेल चलता रहा।
सवाल उठता है कि क्या हिमाचल के अफ़सरों को अपने अधीन क्षेत्रों में लोगों की ख़रीद क्षमता का पता नही है ?
क्या जब करोड़ दो करोड़ की मर्सिडीज़, बीएमडब्ल्यू, सेवन सीरिज़ ओडी या अन्य गाड़ियाँ रजिस्टर की तो उनका माथा एक बार भी नही खटका ? की क्या शहर में इसका कोई ख़रीददार हो सकता है या नही ?
बहरहाल दलालों ने तांडव तो मचा दिया है ज़ाहिर है कि कोई बहुत बड़ी लॉबी सक्रिय रही होगी ? सरकार गुनहगारों पर हाथ केसे डालती है इस पर निगाहें हैं ? क्या बिना राजनीतिक संरक्षण के यह गड़बड़झाला हो सकता है?