हिमाचल सरकार लेगी 337 करोड़ का नया कर्ज, कुल बोझ 96,875 करोड़ तक पहुंचेगा! वित्तीय संकट गहराया, विकास के लिए फंड की कमी…..
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में 337 करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी में है। यह राशि 15 साल की अवधि के लिए होगी। कर्ज का पहाड़ बढ़ता जा रहा है और जनता चिंतित है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बजट 2025-26 के मुताबिक, पूर्व बीजेपी सरकार ने 31 मार्च 2023 तक 76,185 करोड़ का कर्ज छोड़ा था। मौजूदा सरकार ने अब तक 29,046 करोड़ और उधार लिया।
नया कर्ज जुड़ने से राज्य पर कुल 96,875 करोड़ का बोझ होगा। इसी महीने सरकार 322 करोड़ का कर्ज भी ले चुकी है। हालात गंभीर होते जा रहे हैं।
ब्याज और देनदारियों ने डाला दबाव
सरकार ने पिछले कर्ज में से 12,266 करोड़ सिर्फ ब्याज चुकाने में खर्च किए। विकास कार्यों के लिए केवल 8,693 करोड़ ही बचे।
हर महीने चार बड़ी देनदारियां निपटानी पड़ रही हैं। कर्मचारियों के वेतन पर 1,200 करोड़ और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होते हैं।
ऋण का ब्याज देने में 500 करोड़ और मूलधन चुकाने में 300 करोड़ लगते हैं। इनके चलते फंड की भारी कमी हो रही है।
विकास पर संकट के बादल
इन खर्चों के बाद सरकार के पास 100 में से सिर्फ 24 रुपए बचते हैं। सड़कें, स्कूल और अस्पताल जैसे प्रोजेक्ट रुक रहे हैं।
कर्ज बढ़ने से राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। जनता को बेहतर भविष्य की उम्मीद कम नजर आ रही है।
सरकार के सामने चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज का दबाव कम करने के लिए राजस्व बढ़ाना जरूरी है। नए संसाधनों की तलाश तेज करनी होगी।
सरकार को वेतन, पेंशन और कर्ज के भुगतान के साथ विकास में संतुलन बनाना होगा। नहीं तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
जनता की नजर सरकार पर
लोगों का कहना है कि कर्ज लेना बंद हो और मौजूदा संसाधनों का सही इस्तेमाल हो। सरकार से पारदर्शिता की मांग बढ़ रही है।
हिमाचल के वित्तीय हालात पर अब सबकी नजर है। क्या सरकार इस संकट से उबर पाएगी, यह बड़ा सवाल है।