9 साल में हुये 7 हादसे, 30 जवानों की हुई मौत…
25 जून 2013 को भी कुछ ऐसा ही हुआ था…
पूरी दुनिया स्तब्ध है इस बात को लेकर की कैसे सेना का विश्वसनीय चॉपर इस तरह क्रैश हो सकता है, जब से यह खबर आई है कि भारत के CDS सहित अन्य कई अधिकारी हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गये तब से पूरे देश मे शोक संवेदनाओं की लहर दौड़ गयी है।
एक ओर जहाँ लोगों में दुख है तो वहीं दूसरी ओर घटना को लेकर कुछ सन्देह भी, इन सभी के बीच यह जानना बेहद अहम हो जाता है कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसी कोई घटना घटी है बल्कि इससे पहले भी पिछले 9 साल में ऐसे 7 हादसे हो चुके हैं और इन हादसों में अब तक कुल 30 जवानों की मौत हो चुकी है।
19 नवम्बर 2010…..
Mi-17 क्रैश का पहला मामला 19 नवम्बर 2010 को आया था जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग नामक स्थान पर यह विमान क्रेश कर गया था और वायुसेना के 11 और थल सेना के 1 जवान की मृत्यु हो गयी थी।
30 अगस्त 2012 का हादसा…
इतिहास के पृष्ठ उठाकर देखे जायें तो आपको 30 अगस्त 2012 की घटना भी देखने को मिल जायेगी जिसमे गुजरात के सरमत गाँव के पास में भी Mi-17 क्रैश हुआ था और इस पर सवार सभी 9 लोगों की मौत हो गयी थी।
25 जून 2013 को भी कुछ ऐसा ही हुआ था…
25 जून 2013 को एक ऑपरेशन से लौटते समय भी Mi-17 क्रेश हुआ था,यह घटना गौरी कुंड के पास हुई थी ,सुखद यह था कि इस घटना में किसी की जान नहीं गयी थी।
6 अक्टूबर 2017 को भी हुई दुर्घटना…
शायद आप भूल चुके हों,पर याद रखना जरूरी है कि 6 अक्टूबर 2017 भी एक ऐसी ही तिथि है जिस दिन ऐसी भी दुर्घटना हुई थी जिसमें Mi-17 क्रैश हुआ था,यह घटना की अरुणाचल प्रदेश के तवांग नामक स्थान पर हुई और सभी 7 सवार मारे गये थे।
3 अप्रैल 2018 को भी क्रैश हुआ विमान…
तिथियों की सूची में 3 अप्रैल 2018 भी बहुत महत्वपूर्ण है इस दिन गुप्तकाशी से केदारनाथ जाते हुए यह विमान क्रैश हुआ था,हालांकि इसमें सवार सभी मेम्बर बच गये थे।
27 फरवरी 2019 का हादसा…
याद कीजिये 27 फरवरी 2019 को,,श्री नगर से उड़ान भरने के करीब 10 मिनट बाद ही,कश्मीर के बड़गांव में Mi-17 क्रैश हुआ,,और सभी सवारों को गम्भीर चोटें आई थी।
8 दिसम्बर 2021 और यह हादसा..
और अब अब तक का सबसे दुखद हादसा 8 दिसम्बर 2021 का जिसमें फिर एक बार वही चॉपर Mi-17 क्रैश हुआ और 13 लोगों की अकाल मृत्यु,,जिसमे CDS विपिन रावत भी शामिल थे।
अब बड़ा सवाल यह है कि लगातार घटनाओं की पुनरावृत्ति के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं…आखिर क्यों ?
जिम्मेदार कौन ?