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Alert: पहली अक्‍टूबर से बदल जाएंगे क्रेडिट और डेबिट कार्ड के नए नियम, पढ़िए आप पर क्‍या होगा असर

Alert: पहली अक्‍टूबर से बदल जाएंगे क्रेडिट और डेबिट कार्ड के नए नियम, पढ़िए आप पर क्‍या होगा असर

आरबीआई समय समय पर बैंक से संबंधित गाइडलाइन जारी करता है, और हाल ही में 1 अक्‍टूबर 2022 से क्रेडिट कार्ड तथा डेबिट कार्ड से पेमेंट को लेकर नियम बदलने वाला है।

हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से एक नया नियम पेश किया गया है, जिसे एक अक्‍टूबर से प्रभाव में लाया जा रहा है, और यह नियम कार्ड ऑन फाइल (CoF) टोकनाइजेशन है, तथा डेबिट व क्रेडिट कार्ड रखने वालो के पेमेंट का अनुभव बदलने जा रहा है।

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आज के समय में यदि आपने अब तक अपने कार्ड को टोकनाइज नहीं कराया है तब अपने बैंक से संपर्क कर सकते हैं।

आपके जानकारी के लिए बता दे कि RBI की ओर से इसे प्रभाव में लाने के लिए अंतिम तारीख 1 जुलाई तक दी गई थी, लेकिन इसमें कुछ समय की बढ़ोतरी करके इसे 30 सितंबर किया गया है।

कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन के तहत बहुत से व्‍यापारियों ने अबतक इसे पहले से ही पूरा करा लिया है, पर अभी भी बहुत से लोग बाकी हैं, यदि अपने अबतक नही किया है तब आप आज ही कर सकते है, और अभी तक इस नियम के तहत आरबीआई के द्वारा 19.5 करोड़ लोगों को टोकन जारी किया गया है।

क्या है रिजर्व बैंक का नया नियम :

RBI ने पिछले साल ही कॉमर्स वेबसाइटों को ग्राहकों के कार्ड की डिटेल सेव करने से रोक दिया था और टोकनाइजेशन एक्‍सेप्‍ट करना अनिवार्य कर दिया है। यह नियम अगले महीने से प्रभाव में लाया जाएगा।

वर्तमान समय में ऑनलाइन भुगतान में व्यापारियों सहित कई संस्थाएं, कार्ड नंबर और अंतिम डेट जैसे कार्ड डेटा स्टोर करती हैं – कार्ड-ऑन-फाइल (सीओएफ) – कार्डधारकों को सुविधा और आराम की बात कहती है।

इन सभी तरह के यह फ्रॉड को भी रोक जा सकता है, क्‍योंकि आज के समय के अनेक तरह की संस्थाओं के साथ कार्ड डिटेल की उपलब्धता से कार्ड डेटा चोरी या फिर किसी तरह की दुरुपयोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्‍या है टोकनाइजेशन :

आपको बता दे कि टोकनाइजेशन संवेदनशील डेटा को ‘गैर-संवेदनशील’ डेटा में बदलने की एक प्रक्रिया है, जिसे टोकन कहा जाता है। तथा यह टोकन डेबिट या क्रेडिट कार्ड धारक के 16- अंकों के खाता नंबर को एक डिजिटल क्रेडेंशियल में बदल देता है, जिसे चोरी या पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है, और इसका उपयोग कोई और नही कर सकता है।

अब इस टोकन की मदद से आप किसी भी साइट से सेव करके आप आसानी से लेनदेन कर सकते है। इसके सेव होने से धोखाधड़ी या छेड़छाड़ का खतरा अब नहीं होने वाला है। किसी तरह की समस्या भी अब बैंक से संबंधित नही आयेगी।

ग्राहकों पर प्रभाव :

अब किसी तरह से कार्ड क्रेडेंशियल्स को स्टोर नहीं किया जा सकता है। आपको उदाहरण के लिए बता दे कि, जब ग्राहक पहली बार किसी ई-कॉमर्स साइट पर खरीदारी करता है तब उन्हें 16 अंकों का डेबिट कार्ड नंबर या क्रेडिट कार्ड और फिर सीवीवी कोड फीड करने के लिए कहा जाता है, इसके साथ कार्ड की एक्सपायर डेट।

हालांकि, जब वे उसी प्लेटफ़ॉर्म से कोई अन्य आइटम खरीदते हैं, तब वह देख सकते हैं कि साइट ने पहले ही 16-अंकीय कार्ड नंबर सेव कर लिया है तथा उन्हें बस CVV डालने को कहता है, और फिर खरीदारी करने के लिए बैंक द्वारा OTP जनरेट किया जाता है, और ओटीपी के वेरिफाई के बाद लेनदेन हो जाता है।

एक बार जब ग्राहक किसी वस्तु को खरीदना शुरू कर देता है, तब आज के समय में व्यापारी टोकनाइजेशन शुरू कर देगा और कार्ड को टोकन करने के लिए सहमति मांगेगा, तथा अब एक बार सहमति दिए जाने के बाद, व्यापारी कार्ड नेटवर्क को अनुरोध भेज देगा, और टोकन 16-अंकीय कार्ड नंबर के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में कार्य करेगा, फिर इसे व्यापारी को वापस भेज दिया जायेगा।

अब व्यापारी इस टोकन को भविष्य के लेन-देन के लिए सहेज लेगा, तथा लेकिन अब उन्हें अप्रूवल देने के लिए पहले की तरह सीवीवी और ओटीपी दर्ज करना होगा, इस तरह से आपका डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड नंबर सुरक्षित रहेगा।

को-ब्रांड को नहीं दे पाएंगे जानकारी :

आज के समय में वित्त बाजार में अनेक तरह के को ब्रांड मौजूद है। और RBI के हाल ही में जारी किए गए नए प्रावधानों में, यह कहा गया कि कार्ड के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी को अब किसी भी रूप में ब्रांडिंग पार्टनर को नहीं दिया जा सकता।

यह प्रावधान को-ब्रांडेड कार्ड सेग्मेंट में ऑपरेट कर रही कंपनियों के बिजनेस मॉडल को आज के समय में प्रभावित कर सकती हैं, क्योंकि यह सभी कंपनियां इन ट्रांजेक्शन के आधार पर कस्टमर को विभिन्न तरीके के ऑफर देकर लुभाती हैं, जिससे फ्रॉड की समस्या बढ़ जाती है, इन्ही सब चीजों को ध्यान में रखते हुए टोकन की सुविधा लाया गया है।

इन कंपनियों को नहीं मिली राहत :

आपके जानकारी के लिए बता दे कि इसी बीच, RBI ने उन नियमों को लागू करने में कोई राहत नहीं दी है, जो फिनटेक कंपनियों को प्रभावित करने वाले हैं, आज के समय में इसके अलावा इनमें से कुछ प्रवाधान को-ब्रांडेड कार्ड के लिए है, जिनमें स्लाइस (Slice), यूनि (Uni), वनकार्ड (OneCard), लेजीपे (Fi), पेयूज (PayU’s), तथा जुपिटर (Jupiter) आदि शामिल हैं। इन सभी को ब्रांड कंपनी को अन्य बैंक की तरह सुविधा प्रदान नही किया गया है।

दो बार बढ़ा चुकी है डेडलाइन :

आपको बता दे की आरबीआई ने विभिन्न पक्षों से मिले सुझावों को ध्यान में रखते हुए कार्ड-ऑन-फाइल डेटा स्टोर करने की समयसीमा को 31 दिसंबर 2021 से बढ़ाकर 30 जून 2022 कर दिया था, लेकिन पुन: इसे बढ़ाकर दोबारा 30 सितंबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।

अब यदि अपने टोकन नही लिया है, तब आज ही ले लेवे, क्योंकि रिजर्व बैंक इस डेडलाइन को और आगे बढ़ाने पर विचार नहीं कर रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि अब पेमेंट कंपनियों को 30 सितंबर 2022 के बाद लोगों के क्रेडिट कार्ड (Credit Card) तथा डेबिट कार्ड (Debit Card) का डेटा मिटाना होगा, ताकि ग्राहक का कार्ड सुरक्षित रह सके।

Written by Newsghat Desk

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