House Loan EMI: वाह! कम हो सकती है हाऊस लोन की ईएमआई या करना पड़ेगा इंतेजार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
House Loan EMI: होम लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी की उम्मीद है कि दिसंबर तक ब्याज दरों में कमी हो सकती है। पिछले कुछ समय से लोन की अवधि और EMI बढ़ चुकी है।
House Loan EMI: वाह! कम हो सकती है हाऊस लोन की ईएमआई या करना पड़ेगा इंतेजार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
रिजर्व बैंक ने पिछले साल से अब तक बैंकों के लिए ब्याज दरों में 250 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है। इससे फिक्स्ड डिपॉजिट कराने वालों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन होम लोन लेने वालों के लिए बोझ बढ़ गया है।
House Loan EMI: क्या था ईएमआई बढ़ौतरी का कारण
ब्याज दरों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण महंगाई पर काबू पाना है। 2022 में महंगाई दर 6% के पार गई थी। रिजर्व बैंक चाहता है कि महंगाई दर 6% से कम हो। मार्च में रिटेल सेक्टर में महंगाई दर 5.66% पर आ गई।
House Loan EMI: कटौती की उम्मीद
अप्रैल में रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने का फैसला कर लिया। अनुमान है कि इस साल महंगाई दर 5.2 फीसदी के करीब रह जाएगी।
कई अर्थशास्त्रियों ने भी अनुमान लगाया है कि आगे चलकर महंगाई नरम होगी। साथ ही ग्रोथ में कुछ गिरावट आएगी। इन हालात में दिसंबर के अंत तक रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ब्याज दरों में कमी कर सकती है।
House Loan EMI: भारत के सामने सिर्फ महंगाई की चुनौती नहीं हैं। अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल मची है। मामला गंभीर निकला तो भारत की इकॉनमी पर भी इसकी आंच आ सकती है। कच्चे तेल के दाम में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
ब्याज दरें बढ़ाने पर खपत में कमी आएगी और इससे देश की इकॉनमी में मंदी का खतरा होता है। भारत में भी खपत घटने के संकेत मिल रहे हैं और निजी सेक्टर के निवेश की स्थिति कमजोर दिख रही है।
House Loan EMI: विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले साल जनवरी से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत हो सकती है।
अगर महंगाई दर की स्थिति नियंत्रण में रहती है और ग्लोबल आर्थिक स्थिति सुधरती है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
ऐसी स्थिति में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ब्याज दरों में कटौती करके निवेश और उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश कर सकती है।
इसके साथ ही, सरकार को नीतियों में बदलाव करके इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने में भूमिका निभानी होगी। ऐसे फैक्टर्स में कामदारों के कुशलता स्तर, प्रौद्योगिकी अधिग्रहण, निर्यात बढ़ाने के उपाय, और वित्तीय संरचना की मजबूती शामिल हैं।
House Loan EMI: यदि महंगाई दर स्थिर रहती है और आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त नीतियां अपनाई जाती हैं, तो भारतीय अर्थव्यवस्था एक बेहतर स्थिति में हो सकती है। यह समय के साथ दिखाई देगा कि महंगाई दर किस प्रकार से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर करेगी।
ऐसे में विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले साल जनवरी से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत हो सकती है।