

Paonta Sahib: जन्म से नहीं सुन पाती! पर रंगों से रचती कमाल, पांवटा की अदीबा की संघर्ष और कला की प्रेरक कहानी….
Paonta Sahib: पांवटा साहिब की अदीबा जन्म से सुन नहीं पाती। लेकिन उसकी कमजोरी ने उसके हुनर को कभी रोक नहीं पाया। अदीबा पीएम श्री राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पांवटा साहिब की छात्रा है। कक्षा 10वीं में उसने 70% अंक हासिल किए। वह मेडिकल +1 की मेधावी छात्रा भी है।

Paonta Sahib: जन्म से नहीं सुन पाती! पर रंगों से रचती कमाल, पांवटा की अदीबा की संघर्ष और कला की प्रेरक कहानी….
अदीबा बोलने में भी पूर्ण रूप से समर्थ नहीं है, फिर भी उसकी सीखने की लगन कम नहीं होती। अदीबा की सबसे बड़ी पहचान उसकी पेंटिंग है।
रंगों से खेलने की उसकी क्षमता किसी भी साधारण कलाकार से कम नहीं। उसने पेंटिंग में मास्टरी हासिल की है। उसके बनाए चित्र स्कूल में भी खूब चर्चा में रहते हैं।

परिवार उसकी सबसे बड़ी ताकत है। मां नसीम बानो अपनी बच्ची के लिए हर पल चिंतित रहती हैं। अदीबा की स्थिति बताते हुए वह भावुक हो उठीं।
उन्होंने कहा—
“अगर मेरी बच्ची के लिए जरूरत पड़े तो मैं उसे अपना एक कान भी दान कर दूं।
बस मेरी बच्ची सामान्य जीवन जी सके।”


यह शब्द सुनकर हर कोई भावुक हो गया।
अदीबा की मां की यह ममता उसकी संघर्ष कहानी को और भी खास बनाती है।

अदीबा अपने सहपाठियों के लिए मिसाल है। स्कूल के शिक्षक भी उसके उत्साह और प्रदर्शन की सराहना करते हैं। दिक्कतों के बावजूद उसने खुद को साबित किया है। वह बताती है कि मन में हौसला हो, तो कोई कमी रास्ता नहीं रोक सकती।
अदीबा की कला और जज्बा समाज के लिए प्रेरणा है। उसकी कहानी बताती है कि प्रतिभा आवाज की मोहताज नहीं। पांवटा साहिब की यह नन्ही कलाकार साबित कर रही है कि सपनों का रंग कभी फीका नहीं पड़ता।

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