Paonta Sahib: अंतर्राज्यीय दवा माफिया का भंडाफोड़ फिर भी दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने मूंदी आंखें! क्या कलेक्शन एजेंट बन कर रह गए अधिकारी?
Paonta Sahib: नशीली दवाओं के अवैध कारोबार को लेकर पांवटा साहब की चर्चित विदित हेल्थ केयर फार्मा के मामले में ठोस कार्रवाई को लेकर फिर एक बार हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण पूरी तरह विफल नजर आया है।
Paonta Sahib: अंतर्राज्यीय दवा माफिया का भंडाफोड़ फिर भी दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने मूंदी आंखें! क्या कलेक्शन एजेंट बन कर रह गए अधिकारी?
हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण सरकार के दबाव में बेबस है कि इतना संगीन मामला पेश आने के बाद भी कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। जानकारों की माने तो प्राधिकरण के स्थानीय अधिकारी महज कलेक्शन एजेंट बन कर रह गए हैं।
जिसका नतीजा यह सामने आ रहा है कि विभागीय आलाधिकारी मामले से पल्ला झाड़ने हुए नजर आ रहे हैं और मीडिया के सवालों से भी बचते नजर आ रहे हैं।
यह पहला मामला नहीं है जब बाहरी राज्य की नारकोटिक्स कंट्रोल टीम ने यहां अवैध नशीले कारोबार को लेकर दबिश दी हो, इससे पूर्व भी ऐसे कई बड़े मामले पेश आए हैं जब मानकों से परे दवाओं का उत्पादन हुआ है और बाहरी राज्य में उत्पादित माल पकड़ा गया हो।
विदित हेल्थकेयर फार्मा मामले में भी हिमाचल प्रदेश का राज्य दवा नियंत्रक विभाग सांप निकालने के बाद लकीर पीटने वाली कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा है।
बता दें कि पांवटा साहिब में नशे की दवाओं को लेकर यह कोई पहली बड़ी कार्रवाई नहीं है इससे पहले भी एप्पल फिल्ड फार्मा कंपनी से बड़ी तादाद में पुलिस की स्पेशल विंग द्वारा नशीली दवाओं की खेप पकड़ी गई थी।
उस वक्त भी हिमाचल प्रदेश राज्य दवा नियंत्रक विभाग को इस पूरे खुलासे का बाद में पता चला था। सूत्रों की मानें तो ड्रग विभाग के अंदर ही कई भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा हर महीने लाखों रुपए लेकर ऐसे फार्मा कम्पनियों को संरक्षण दिया जा रहा है।
हिमाचल की दवा उत्पादक कम्पनियों की कार्यशैली देखे तो विगत कुछ समय में ही कई दवाओं के सैंपल भी फैल हुए है। जिनमें पांवटा साहिब की ऐसी नामी कम्पनियां भी है जिनके सैंपल कई मर्तबा फैल हो चुके है। इसमें भी राज्य दवा नियंत्रक विभाग की लापरवाही साफ देखने को मिलती है।
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बताया जा रहा है कि जिन कम्पनियों में इस तरह की नारकोटिक्स से संबंधित अवैध दवाइयां बनती है वहां से करोड़ों रुपए का लेन देन विभागीय अधिकारियों व राजनेताओं तक गुप्त रूप से किया जाता है।
इनको संरक्षण देने वालों की लिस्ट स्थानीय स्तर से लेकर राज्य व केन्द्र तक है। इसका एक बड़ा उदाहरण यह भी सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व में प्रदेश ड्रग कंट्रोलर पर लगने वाले गंभीर आरोप है। जिन पर हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले के दौरान करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति जुटाने की बात भी सामने आई है।
सूत्रों से यह भी पता चला है कि विदित हेल्थकेयर फार्मा कंपनी का दूसरा पार्टनर नवीन भाटिया व मैनेजर मनीष बजाज फरार चल रहे है।
इस बारे में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण के एक आला अधिकारी से जब बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मामले में कार्रवाई शुरू की गई है। लेकिन अभी तक क्या कार्रवाई की गई है, इस बारे में वह कोई जवाब नहीं दे पाए।
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