Paonta Sahib: एसएफआई पांवटा साहिब ने शिक्षक व गैर शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर खोला मोर्चा
Paonta Sahib: एसएफआई पांवटा साहिब इकाई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में हुए शिक्षक व गैर शिक्षक भर्ती घोटालो की जांच और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के चलते 196 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने की मांग की है। इसी के चलते एसएफआई द्वारा प्राचार्य के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया।
Paonta Sahib: एसएफआई पांवटा साहिब ने शिक्षक व गैर शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर खोला मोर्चा
एसएफआई के प्रधान अशोक शर्मा ने कहा कि सूचना के अधिकार 2005 के तहत करीब 154 शिक्षकों की नियुक्ति से सम्बंधित कागजात 2022 में जो हासिल हुए और उनका अवलोकन करने के बाद पता चला कि यह छोटा घोटाला नहीं है बल्कि इसमें देश व प्रदेश के हजारों काबिल और योग्य नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड कर बडे, निम्न व आयोग्य लोगों को भर्ती किया गया है। जिसकी प्रतिशतता कम से कम 70 से 80 प्रतिशत है।
इस दौरान एसएफआई ने कहा कि फर्जी शोध-पत्रों के आधार पर नियुक्तियां हुई हैं। साथ ही गैर कानूनी तरीके से प्रमाण-पत्र जारी किए गए है जिसमें 30 नंबर सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए छटनी प्रकिया में दिये गये हैं। फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर सह-आचार्य या आचार्य नियुक्त किए गये हैं। इसके साथ ही एक विभाग से दूसरे विभाग में पद का हस्तांतरण अपने लोगों को एडजेस्ट करने के लिए किया गया है।
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सम्बन्धित विभाग के विभागीय समिति के आपति के बावजूद कुलपति ने गैर कानूनी तरीके से कार्यकारी शक्तियों का हस्तांतरण अपने आप को करा लिया और ईसी के बजाय खुद ही नियुक्ति अधिकारी बन गये। बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ प्रदान कर बड़े पैमाने पर विवि के पैसों पर डाका डाला गया। इसके साथ ही बड़े स्तर पर 400 से ज्यादा लोगों को आउटसोर्स पर रखा गया जिसमें अधिकतम एक विचारधारा से जुड़े रिश्तेदारों को एडजेस्ट करने का काम किया गया।
गौरतलब है कि कुलपति सिकंदर कुमार ने आपदा में अवसर ढूंढते हुए 21 नवम्बर 2020 को हुई कार्यकारी परिषद की बैठक में यथा स्थान मद संख्या दो के तहत शक्तियों को इस्तेमाल करने के लिए अपने आप को अधिकृत लिया। जिसके बाद माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद करीब 196 शिक्षकों की नियुक्ति कुलपति के द्वारा फर्जी तरीके से की गई जोकि कार्यकारी परिषद् द्वारा की जानी थी।
एसएफआई ने कुलाधिपति से मांग की है कि कुलपति को अविलम्ब आदेश दे कि वो कार्यकारी परिषद् की बैठक को बुला कर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की पालना करते हुए सभी 196 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करे। जिनको तत्कालीन कुलपति ने अवैध तरीके से कार्यकारी परिषद् की शक्तियों का इस्तेमाल करके नियुक्त किया है।
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