Paonta Sahib: दरबार गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब की भव्य ईमारत हाईटेक टेक्नोलॉजी से बनकर तैयार, इस दिन होगा शुभारंभ
Paonta Sahib: ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब में गुरु घर का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, जोकि 53 वर्षों के बाद हाईटेक टेक्नोलॉजी से बनकर तैयार हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक यहां देश के सबसे विख्यात कारीगरों से तैयार करवाया जा रहा है, आने वाले समय में गुरु घर की सुंदरता को चार चांद लगेंगे।
कब बनाई गई थी दरबार गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब की ईमारत ….
पांवटा साहिब के ऐतिहासिक गुरुद्वारा की इमारत 1978 में संत बाबा हरबंस सिंह दिल्ली वाले द्वारा तैयार की गई थी, 53 वर्षों के बाद इस इमारत का कार्य हाईटेक टेक्नोलॉजी से किया जा रहा है जिसके लिए मकराना से पत्थर मंगाए जा रहे हैं दिल्ली के मशहूर पेंटर को बुलाया गया है।
इतना ही नही गोल्ड और वाइट का कॉम्बिनेशन बना कर यह बिल्डिंग तैयार की जा रही है जोकि सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होगी, ताकि लाखों यात्रियों को यहां पर किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
इस ऐतिहासिक इमारत की पॉलिश दोबारा से की गई है। 12 अप्रैल तक यह बिल्डिंग तैयार की जाएगी। इसे तैयार करने के लिए लगभग 5 से 6 महीनों का समय लग चुका है।
संगत के दर्शन के लिए कब खोला जाएगा भव्य दरबार साहिब …
जानकारी देते हुए गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के उपप्रधान जत्थेदार हरभजन सिंह और मैनेजर जगीर सिंह ने बताया कि 53 वर्षों के बाद बिल्डिंग कि सीलिंग खराब हो गई थी।
बिल्डिंग में लगे सभी संगमरमर पत्थर की घिसाई की जा रही है, हॉट और कोल्ड AC भी इसमें लगाए गए है, गुरुद्वारों अद्भुत सुंदर रुप दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जल्द ही हाई टेक्नोलॉजी के साथ इस बिल्डिंग को तैयार किया जाएगा, फिलहाल, संगतों के दर्शनों के लिए बिल्डिंग पूरी तरह से रोक दी गई थी।
14 अप्रैल को अखंड पाठ के साथ बिल्डिंग फिर से तैयार की जाएगी और लाखों श्रद्धालु फिर से ऐतिहासिक गुरुद्वारा इस इमारत में दर्शन कर पाएंगे।
खुद श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने बसाया था पांवटा साहिब शहर
उपप्रधान जत्थेदार हरभजन सिंह और मैनेजर जगीर सिंह ने बताया कि संक्राति 1742 संवत को रखी गई थी पांवटा साहिब की नींव रखी गई थी और गुरु गोबिंद सिंह का यमुना नदी के तट पर पांवटा साहिब को बसाया था।
पांवटा साहिब इतिहास की कई महान घटनाओं को संजोए हुए है। एक तरफ जहां सिख धर्म के इतिहास में विशेष स्थान रखता है, तो दूसरी तरफ सिखों के गौरवमयी इतिहास की यादों को ताजा करता है।
इस धरती पर पांवटा साहिब ही एक ऐसा नगर है जिसका नामकरण स्वयं गुरु गोबिंद सिंह ने किया है। इतिहास में लिखा है कि गुरु गोबिंद सिंह 17 वैशाख संवत 1742 को 1685 ई. को नाहन पहुंचे तथा संक्राति 1742 संवत को पांवटा साहिब की नींव रखी।
साढ़े 4 वर्ष रहे पांवटा साहिब में गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह साढ़े 4 साल तक पांवटा साहिब में रहे। इस दौरान उन्होंने यहां रहकर बहुत से साहित्य तथा गुरुवाणी की रचनांए भी की है।
प्राचीन साहित्य का अनुभव और ज्ञान से भरी रचनाओं को सरल भाषा में बदलने का काम भी गुरु गोबिंद सिंह ने लेखकों से करवाया।
गुरु गोबिंद सिंह ने यहां पर एक कवि दरबार की स्थापना की। जिसमें 52 भाषाओं के भिन्न भिन्न कवि थे। कवि दरबार स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह पूर्णमासी की रात को एक विशेष कवि दरबार भी सजाया जाता था।
कैसे पहुंचे पांवटा साहिब व कहां से कितनी दूरी…..
पांवटा साहिब शहर वर्तमान में चंडीगढ़ देहरादून एनएच 7 पर स्थित है। दिल्ली, चंडीगढ़, देहरादून, शिमला, यमुनानगर, अंबाला व पंजाब के कई शहरों से सीधी बस सेवा उपलब्ध रहती है। सबसे नजदीक के रेलवे स्टेशन अंबाला, यमुनानगर, चंडीगढ़ व देहरादून है।
जबकि सबसे नजदीक के एयरपोर्ट चंडीगढ़ व देहरादून है। जिला मुख्यालय नाहन 45 किलोमीटर, यमुनानगर 50 किलोमीटर, चंडीगढ़ 125 किलोमीटर, अंबाला 105 किलोमीटर, शिमला से वाया सराहां-नाहन 180 किलोमीटर तथा देहरादून से 45 किलोमीटर दूर है।
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