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Paonta Sahib: NPA बंद होने से नाराज़ सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के डॉक्टर्स ने ऐसे जताई अपनी नाराज़गी

Paonta Sahib: NPA बंद होने से नाराज़ सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के डॉक्टर्स ने ऐसे जताई अपनी नाराज़गी

Paonta Sahib: NPA बंद होने से नाराज़ सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के डॉक्टर्स ने ऐसे जताई अपनी नाराज़गी
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Paonta Sahib: NPA बंद होने से नाराज़ सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के डॉक्टर्स ने ऐसे जताई अपनी नाराज़गी

Paonta Sahib: हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ ने भविष्य में नियुक्त होने वाले चिकित्सकों के एनपीए को रोके जाने का एकमत से विरोध जताया है।

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इसी कड़ी में आज सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के डॉक्टरों ने एक स्वर में कहा है वेतन को लेकर हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर निर्णय लिए जाते हैं। यह जल्दबाजी में लिया गया है।

यह निर्णय चिकित्सकों के हित में नहीं है। इसके साथ ही यह एक जनविरोधी निर्णय भी है, जिसके चलते आज से डॉक्टरों ने पैन डाउन स्ट्राइक करने का फैसला लिया है।

यदि चिकित्सा अधिकारी अपनी प्रैक्टिस करते हैं तो इससे जनता का आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर ही बढ़ेगा। इसके कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं भी चरमरा सकती हैं।

हिमाचल के चिकित्सकों ने कड़ी मेहनत से राज्य को देशभर में सर्वोत्तम स्थान पर पहुंचाया है, क्योंकि हिमाचल में चिकित्सकों को एनपीए दिया जाता है। वहीं जिन राज्यों में एनपीए नहीं दिया जाता है उनके हेल्थ इंडिकेटर बहुत ही निम्न स्तर पर हैं।

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संघ ने मांग उठाई है कि डाक्टरों को मिलने वाला नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योकि डॉक्टरों की ड्यूटी बाकी विभागों में तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों से काफी अलग है, और इन्हे हर परिस्थिति में सेवाएं देनी पड़ती है।

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डॉक्टरों को दिन-रात सेवाएं देने के बावजूद भी अगर सरकार का यह रवैया रहता है, तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।

डॉक्टरों का काम जनसेवा से जुड़ा हुआ है आपदा के समय भी डॉक्टर जान जोखिम में डालकर सेवाएं देते हैं चाहे कोविड 19 में हो चाहे कोई भी अन्य परिस्थिति हो उस दौरान भी डाक्टरों ने दिन-रात एक करके काम किया है।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में हिमाचल अग्रणी राज्यों में शुमार है। इस तरह के निर्णय से प्रदेश की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए संघ का सरकार से यह आग्रह है कि इस तरह का कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टरों को विश्वास में लिया जाए।

चिकित्सक नियुक्त होने के बाद 25 से 30 साल सेवाएं देने के बाद ही खंड चिकित्सा अधिकारी बनता है ऐसे में चिकित्सकों को एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत 4-9-14 इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाता था उसे भी छीन लेना न्याय संगत नहीं है क्योंकि खंड चिकित्सा अधिकारियों के पद 100 से भी कम है।

वहीं दूसरी अफसरशाही उन्हें भरने के लिए जागरूक नहीं है आज भी खंड शिक्षा अधिकारी के 20 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं ऐसे में चिकित्सकों को 4-9-14 का टाइम स्केल दिया जाना न्याय संगत है।

यह टाइम स्केल बिहार जैसे राज्यों में भी दिया जा रहा है पर हिमाचल में इसे रोक देना चिकित्सकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

संघ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि स्वास्थ्य विभाग के पदों को एमबीबीएस की योग्यता प्राप्त चिकित्सकों से भरा जाए।

प्रदेश में चिकित्सकों की कमी नहीं है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में अन्य विभागों से की गई नियुक्तियां को शीघ्र रद किया जाए और इन पदों पर चिकित्सकों को बिठाना ही स्वास्थ्य विभाग के लिए बेहतर होगा।

किसी भी विभाग में दूसरे विभाग से नियुक्तियां करना उचित नहीं है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग में अन्य विभागों से से नियुक्तियों को हटाने पर स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो जाएगा।

एक चिकित्सक को ही उनकी कार्यप्रणाली का संपूर्ण ज्ञान होता है। अन्य विभागों से नियुक्तियों के कारण प्रदेश के नए खोले गए मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खतरे में है।

प्रदेश का कोई भी स्वास्थ्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स की गाइडलाइंस के अनुरूप संचालित नहीं किया जा रहा है जो सब जनता की नजरों में मात्र धूल झोंकने के बराबर है।

यही हाल सब डिस्टिक या डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का भी है। पिछली सरकार से लेकर अब तक स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति डीपीसी के माध्यम से अब तक नहीं कर पाना स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की धीमी गति को दर्शाता है।

वहीं दूसरी ओर ज्वाइन डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर और खंड चिकित्सा अधिकारियों के पदों को नहीं भर पाना भी स्वास्थ्य विभाग की नाकामयाबी का पुख्ता निशान है।

संघ का प्रतिनिधिमंडल इन्हीं सब मांगों को लेकर हाल ही में मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से भी मिला है लेकिन अफसरशाही इन मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।

इस बारे में सिविल अस्पताल पांवटा साहिब में तैनात सिरमौर इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर पीयूष तिवारी ने बताया है कि यदि ऐसे में नियुक्त होने वाले डॉक्टरों को एनपीए नहीं दिया जाएगा तो अस्पतालों में डॉक्टरों को मजबूरन डॉक्टरों को अपनी वित्तीय स्थिति को स्टेबल बनाए रखने के लिए अपने प्राइवेट अस्पताल एवं क्लीनिक खोलने पड़ेंगे। जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा जाएगी, और साथ ही मरीजों काफी डॉक्टरों पर से विश्वास उठ जाएगा।

उन्होंने कहा जब तक सरकार अपना यह फैसला वापिस नहीं लेगी तब तक यह रोष प्रदर्शन सुबह 9.30 से 11 बजे तक हर रोज ऐसे ही चलता रहेगा।

इस पैन डाउन स्ट्राइक के दौरान एसएमओ प्रभारी डॉक्टर अमिताभ जैन, डॉ एवी राघव, डॉक्टर कमाल पाशा, डॉ राजीव चौहान, डॉ पीयूष तिवारी, डॉक्टर ऋचा, डॉ सुधी गुप्ता, डॉक्टर अंकुर धीमान, डॉ स्पर्श सैनी मौजूद रहे।

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Written by Newsghat Desk

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