Sudha Chandran Wikipedia Biography In Hindi | सुधा चंद्रन जीवन परिचय
इस आर्टिकल Sudha Chandran Wikipedia Biography In Hindi | सुधा चंद्रन जीवन परिचय में हम जानेंगे सुधा चंद्रन कौन हैं ? सुधा चंद्रन के एक्सीडेंट की दास्तान ? उनका विवाह ? पति ? बच्चे ?
जीवनी
सुधा चंद्रन
27 सितंबर 1965 (आयु 55)
मुंबई, महाराष्ट्र,
जीवन में हमेशा वही लोग सफलता प्राप्त करते हैं, जिनके इरादों पक्के होते है । यह कहना बेहद आसान है, लेकिन इसे जीवन में उतारना कितना कठिन है, इसकी परिकल्पना शायद वही इन्सान कर सकता है, जिसने इसे सचमुच अपने जीवन में साकार किया है। सुधा चंद्रन उनमे से एक है।
सुधा चंद्रन का प्रारंभिक जीवन :
सुधा चंद्रन एक टेलीविजन अभिनेत्री और भरतनाट्यम नर्तकी हैं। सुधा चंद्रन का जन्म 27 सितंबर 1965 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था।
इन्होने अपने नृत्य में करियर 3 साल की उम्र से शुरू किया था। इनके पूर्वज वयलुर, तिरुचिरापल्ली, तमिल नाडु के हैं, लेकिन इनके दादा जी पलक्कड़, केरला में जा कर बस गए थे। इनके पिता स्वर्गीय केडी चंद्रन (यूएसआईएस और अभिनेता निदेशक) थे। इनकी माता का नाम थंगम चंद्रन था।
जब ये 1981 ईस्वी में चेन्नई से अपने माता पिता के साथ वापस अपने घर जा रही थी, तब उनके साथ तिरुचिरापल्ली, तमिल नाडु के पास एक रोड एक्सीडेंट में इन्होने अपना एक पैर सदा के लिए खो बैठी थी, लेकिन उसके बाद भी इन्होने हार न मानते हुए अपने नृत्य और अभिनय को जारी रखा।
सुधा चंद्रन की शिक्षा :
ये पढ़ाई में काफी अच्छी थी और इन्होने अपने 10th क्लास के बोर्ड में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया, लेकिन इन्होने फिर भी विज्ञान को न चुनते हुए आर्ट को चुना, क्यूंकि ये अपना अधिक समय डांस को देना चाहती थी।
इनके माता पिता ने इनको पाँच वर्ष की अल्पायु में ही मुंबई के प्रसिद्ध नृत्य विद्यालय ‘कला-सदन’ में प्रवेश दिलवाया था। इन्होंने मीठीबाई कॉलेज, मुंबई से अपनी एमए की डिग्री औद्योगिक और अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में पूरी की ।
उनका निजी जीवन :
सुधा चंद्रन ने जिनसे प्यार किया उसे ही पति के रूप में पाया है। उनके हमसफ़र का नाम रवि दांग है जो एक अस्सिस्टेंट डायरेक्टर है।
उनके जीवन में इस दुर्घटना ने उन्हें टूटने नहीं दिया और इन्होने एक कृत्रिम ‘जयपुर फुट’ की मदद से उसने अपनी विकलांगता को दूर किया, ठीक होने के लिए इन्हे लगभग 3 साल की फिजियोथेरेपी लेनी पड़ी थी ।
सुधा चंद्रन का संघर्ष :
किसी विचारक ने कहा है कि “हमें जीवन से सब कुछ मिल सकता है, लेकिन उसकी एक कीमत होती है, यदि हम वह कीमत चुकाने को तैयार हैं, तो हम हर असाधारण सफलता को प्राप्त करने का सपना देख सकते हैं।”
सुधा की प्रतिभा देखकर सुप्रसिद्ध नृत्य शिक्षक श्री के.एस. रामास्वामी भागवतार ने उसे शिष्या के रूप में स्वीकार कर लिया और सुधा उनसे नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करने लगी।
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छोटी सी ही उम्र में अपने नृत्य से सबका दिल जीत लेती थी , लेकिन एक दिन अचानक उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने सुधा चंद्रन की पूरी दुनिया ही पलट दी. उनके साथ एक ऐसा हादसा हुआ जिसमे उन्होंने अपना दाहिना पैर खो दिया।
दुर्घटना में सुधा जी के बाएँ पाँव की एड़ी टूट गई और दायाँ पाँव बुरी तरह जख्मी हो गया था प्लास्टर लगने पर बायाँ पाँव तो ठीक हो गया किंतु दायीं टाँग में ‘गैंग्रीन’ हो गया ।
दुर्घटना के एक महीने बाद सुधा की दायीं टाँग घुटने के साढ़े सात इंच नीचे से काट दी गयी थी।
वो पैर जो हमेसा गाने की धुन पर झूमने लगते थे अचानक से मौन हो गए। लेकिन सुधा जी ने अपनी हालत पर बिना तरस खाए ही दुनिया के सामने एक इतिहास रचा।
16 साल तक की उम्र तक उन्होंने 75 से अधिक स्टेज शो किये। सुधा जी ने भरतनाट्यम की उम्दा कलाकार के रूप में शोहरत हासिल की थी। वह रोजाना 18-20 घंटे नृत्य का अभ्यास करती थीं।
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सुधा चंद्रन की ये कहानी हम सबको यह प्रेरणा देती है कि कैसे एक भयावय दुर्घटना के बाद भी जीवन की परिस्थितियों का सामना करके अपने सपनो को साकार बनाने की कोशिश की। विकलांगता के बावजूद दृढ-निश्चय के साथ उन्होंने अपनी मुसीबतों का सामना किया और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर सफलता हासिल किया।
सुधा चंद्रन जी के जीवन पर फिल्म :
सुधा जी की लोकप्रियता बढ़ने के कारण उनके संघर्ष और सफलता की कहानियां अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी। इसी दौरान लोकप्रिय फिल्म निर्माता रामोजी राव की नज़र भी इनके संघर्ष पर पड़ी। रामोजी राव ने सुधा जी के जीवन से प्रभावित होकर उन पर फिल्म बनाने का निश्चय किया ।
1984 में तेलुगु में सुधा जी के जीवन पर आधारित फिल्म “मयूरी” बनी, जिसमें मुख्य पात्र का रोल स्वयं सुधाजी ने निभाया था। इस फिल्म को दर्शकों ने ढेर सारा प्यार दिया। तेलुगु फिल्म “मयूरी” का बाद में हिंदी रूपांतरण 1986 में आया । जो “नाचे मयूरी” नाम प्रसिद्ध हुई । सुधा जी के जीवन पर आधारित इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
उनकी पसंद :
सुधा जी का पसंदीदा कलाकार “राजेश खन्ना और शाहरुख खान है । इसके साथ पसंदीदा अभिनेत्री मीना कुमारी, हेमा मालिनी, रेखा और श्रीदेवी है ।
अभिनेत्री और भरतनाट्यम नृत्यांगना सुधा चंद्रन कहती हैं, “मेरी असफलताएं ही मेरे लिए प्रेरणा का एकमात्र स्रोत हैं, जो आज कई लोगों के लिए दृढ़ता, साहस और सकारात्मकता का प्रतीक बना है।
मेरे पास एकमात्र प्रेरणा जीवन में मेरी हार थी। जब लोगों ने कहा कि मैं डांस करने के लिए पैदा नहीं हुई , तो मुझे उन्हें गलत साबित करना था। मुझे यह साबित करना था कि मैं न केवल नृत्य करने के लिए पैदा हुई हुँ, बल्कि इतना अच्छा करने के लिए कि मैं न केवल इस पीढ़ी में बल्कि कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनूं।
सुधा जी विचार करते हुए कहती है , कि जब लोग किसी को रोल मॉडल के रूप में देखते हैं तो यह सबसे बड़ा सम्मान होता है। जब मैं इस दुनिया को छोड़ दूँगी तो मुझे कभी पछतावा नहीं होगा। मेरा मानना है कि मैं एक उद्देश्य के लिए आयी हूं और बहुत कम उम्र में मैंने उस उद्देश्य को पूरा किया है,”।
सुधा जी भारत के विषय में कहती है कि ऐसा कुछ नहीं है जो भारत को सीखना चाहिए। हमारे पास इतने सारे देशों की तुलना में बहुत बेहतर बुनियादी ढांचा है, हमारे पास अधिक योग्य और कुशल लोग हैं।
“मुझे लगता है कि जहां तक नीतियों का सवाल है, दुनिया को भारत से बहुत कुछ सीखना होगा। लेकिन एकमात्र मुद्दा यह है कि यहां अमल और सजा बहुत कम है। जब हम भारतीय भारत से बाहर जाते हैं, तो हम हर नियम और कानून का पालन करते हैं।
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ऐसा इसलिए है क्योंकि हम ऐसा नहीं करने पर मिलने वाली सजा से डरते हैं। यहां बात यह है कि हम सजा के बारे में जानते हैं, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हम इससे बच सकते हैं। यही एकमात्र समस्या है।
सुधा जी अपने व्यस्त जीवन में थोड़ा समय अपने परिवार के साथ बिताने को उत्सुक है।
पुरस्कार/ उपलब्धि :
1986 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – मयूरी के लिए विशेष जूरी पुरस्कार।
2004 में स्टार परिवार अवार्ड।
2005 में “तुम्हारी दिशा’ के लिए एक नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए भारतीय टेलीविजन अकादमी पुरस्कार ।
2013 में एशियानेट टेलीवीसियोन अवार्ड आद्र्राम के लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री ।
2014 में “देवम थंडा वीडु” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री विजय टेलीविजन पुरस्कार
2015 में देवम थंडा वीडु के लिए सर्वश्रेष्ठ सास हेतु विजय टेलीविजन पुरस्कार
2016 में “नागिन” धारावाहिक के लिए पावर पैक्ड परफॉर्मेंस की ओर से *कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड।
2017 में “नागिन” धारावाहिक सीजन 2 के लिए कलर्स गोल्डन पेटल अवार्ड ।
सुधा चंद्रन की प्रसिद्ध फ़िल्में :
फ़िल्म जगत में सुधा चंद्रन का नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। जो इस प्रकार है –
मयूरी 1984, सर्वम शक्तिम्यम् 1986, मलारुम कलियुम 1986, धर्मम् 1986,
नाचे मयूरी 1986, नांबिनार केदुवथिल्लई 1986, वसंत रागम 1986, थये नेये थुनै 1987, कलाम मारी कथा मेरी 1987,
चिन्ना पोव मेला पेसू 1987, चिन्ना थम्बी पेरिया थम्बी 1987, थंगा कलासम 1988,
ओरिजीत्टा कोल्ली 1988, ओलाविना
आसरे 1988, पाटी परमेश्वर 1990,
थानेदारब 1990, राजनर्तकी 1990,
जेने की सज़ा 1991, कुर्बान 1991,
मस्करी 1991, जान पीचान 1991, निश्चय 1992, शोला और शबनम 1992, फूलन हसीना रामकली 1993, बाली उमर को सलाम 1994, रघुवीर 1995, हम आपके दिल में आते हैं 1999, एक लूटेरे 2001, शादी करके फस गया यार 2002, प्रणली 2008, परमवीर परशुराम 2013, तेरा इंतेज़ार 2017, क्रिना 2018 सिफर 2019 मैच ऑफलाइफ 2020, राग 2021
सुधा चंद्रन के प्रसिद्ध टीवी शो :
*रिश्ते,
*अपरिजिता -1993,
*साहिल-1996,
*चश्मे बदूर-1998,
*हीना 1998- 2003,
*शक लका बूम बूम 2000-2001,
कैसे कहूं -2001
*क्योंकि सास की कभी बहु थी 2002- 2005,
*तुम बिन जाओ कहा 2003- 2004,
* ज़मीन से आसमान तक -2004
* कशमकश ज़िन्दगी की 2006-2009
* झलक दिखला जा -2 -2007
*शुभ कदम 2008-2009
* मिस्टर एन्ड मिसेस शर्मा इलाहाबाद वाले 2010
* झिल मिल सितारों का आँगन होगा -2012
* ये है मोहब्बतें -2018-2019
* बिग बॉस -2020
इसके अतिरिक्त भी सीरियल का दौर यूंही चलता रहा ।
सुधा चंद्रन जी द्वारा कई प्रोग्रामो में निर्णायक की भूमिका भी निभाई गयी।
* नागिन ब्लॉकबस्टर -2019
* ठकरप्पन कॉमेडी -2019
* डांस जोड़ी डांस जूनियर्स -2018
* कॉमेडी स्टार्स सीजन 2 2018-2019
* लिटिल स्टार्टस – 2013
* मराठी तराका -2012
* सुपर डांस जूनियर -2017
आज सुधा जी एक व्यस्त नृत्यांगना ही नहीं,बल्कि फ़िल्म कलाकार भी है. सुधा जी को उसके असामान्य साहस और श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिए नवाज़ा गया है ।
किसी ने सच ही कहा है – “संघर्ष के समय इंसान अकेला होता है लेकिन सफलता में पूरी दुनिया साथ होती है ।”
सुधा जी अपने जीवन में जब भी परेशान हताश होती तब वह सोचती कि उनका लक्ष्य क्या है, वो क्या पाना चाहती है ?
उन्हें उनके हर सवाल का जबाव अपने आप की मिल जाता था। उनकी ये कहानी हर युवा के लिए आदर्श बन गयी है
किसी ने बहुत खूबसूरत लिखा –
जिस जिस पर ये जग हँसता है,
वो एक दिन इतिहास रचता है।