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हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: अब होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट पर ये नए नियम होंगे लागू! अगर नहीं किया ये काम तो होगी 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना

हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: अब होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट पर ये नए नियम होंगे लागू! अगर नहीं किया ये काम तो होगी 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना

हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: अब होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट पर ये नए नियम होंगे लागू! अगर नहीं किया ये काम तो होगी 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना

हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: अब होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट पर ये नए नियम होंगे लागू! अगर नहीं किया ये काम तो होगी 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना

हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: हिमाचल प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने वाला है।

सरकार ने होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट योजनाओं के तहत चल रही इकाइयों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में कुछ नए नियम लागू किए हैं। इस संशोधन के अनुसार, अब हर इकाई को फिर से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: अब होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट पर ये नए नियम होंगे लागू! अगर नहीं किया ये काम तो होगी 6 महीने की सजा और एक लाख जुर्माना

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इस नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य अवैध रूप से चल रही इकाइयों पर शिकंजा कसना है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में यह संशोधन विधेयक, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास और रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2023 के रूप में विधानसभा में पेश किया गया।

इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि पंजीकरण की प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। इस दौरान, जिन इकाइयों के पास मौजूदा पंजीकरण है, उन्हें अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। हालांकि, लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद, निर्धारित पंजीकरण शुल्क देना होगा।

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पंजीकरण के तमाम दस्तावेज और अन्य आवश्यकताएं 90 दिनों के भीतर पूरी करनी होंगी। इसके अतिरिक्त, नए संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई इकाई बिना पंजीकरण के संचालित हो रही है, तो उसे सख्त जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

पहले जहां गैर-पंजीकृत इकाइयों के लिए छह महीने की सजा और 10,000 रुपये का जुर्माना था, वहीं अब इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये तक कर दिया गया है। इससे सरकार का उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र को और अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित बनाना है।

एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि पंजीकरण के बाद दिए जाने वाले लाइसेंस की वैधता अब दो साल तक मानी जाएगी। इससे इकाइयों को बार-बार पंजीकरण की प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे अधिक समय तक बिना किसी चिंता के अपने व्यवसाय को चला सकेंगे।

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सरकार ने ‘जल उपकर’ का नाम बदलकर ‘जल आयोग’ करने का निर्णय लिया है।

यह कदम राज्य में पानी से जुड़े मुद्दों को और अधिक कुशलता से संभालने के लिए उठाया गया है। जल आयोग के तहत विभिन्न जल-संबंधित परियोजनाओं का बेहतर प्रबंधन और नियंत्रण संभव हो सकेगा।

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Written by Newsghat Desk

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