क्या होगा अगर दलित, ईसाई से विवाह करें ?
मद्रास हाईकोर्ट ने दिया ये जवाब, 2013 में हुई थी ये कारवाई
आपने धर्मांतरण की खबरें तो बहुत सुनी होगी, परंतु जातीय परिवर्तन की खबरें आपने शायद ही सुनी हो।
कभी आपने यह गौर किया है कि अगर एक दलित किसी ईसाई से विवाह कर ले और क्रास पहनने लगे तो क्या होगा ? क्या उसका जाती प्रभाव पत्र रद्द हो जाएगा?
मद्रास हाईकोर्ट ने दिया जवाब
मद्रास हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर को दिए अपने एक आदेश में कहा कि एक दलित की ओर से क्रास और दूसरे धार्मिक प्रतीकों को पहनने की वजह से उसका अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द नहीं किया जाए सकता।
रामनाथपुरम की एक महिला डॉक्टर की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति एम दुरई स्वामी की खंडपीठ ने कहा कि यह नौकरशाही की संकीर्णता है जिसे संविधान ने कभी नहीं देखा।
पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक दलित समुदाय के एक सदस्य ने ईसाई से शादी की है ऐसे में उसे जाति प्रमाण पत्र रदद् नहीं किया जा सकता।
2013 में रद्द हुआ था सर्टिफिकेट
दरअसल हाई कोर्ट रामनाथपुरम जिले की एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें जिला कलेक्टर की ओर से उनके सामुदायिक प्रमाण पत्र रद्द करने के बारे में आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
बता दें कि इस महिला का जन्म बतौर हिंदू एक अनुसूचित जाति में हुआ था। बाद में उन्होंने एक ईसाई से विवाह कर लिया था जिसके चलते उसका सर्टिफिकेट रद्द कर दिया गया था।