Loan Defaulter Rights: आर्थिक तंगी के कारण नहीं चुका पा रहे हैं लोन तो घबराएं नहीं जान लें अपने अधिकार! जानें बैंक लोन न चुका पाने पर क्या हैं आपके अधिकार
Loan Defaulter Rights: जब कोई व्यक्ति बैंक से लिया गया लोन चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक उसे चेतावनी देता है और लोन की किस्तों का भुगतान करने का आग्रह करता है। यदि ग्राहक भुगतान नहीं कर पाता, तो बैंक गारंटी के तौर पर रखी गई संपत्ति को जब्त कर सकता है।
Loan Defaulter Rights: आर्थिक तंगी के कारण नहीं चुका पा रहे हैं लोन तो घबराएं नहीं जान लें अपने अधिकार! जानें बैंक लोन न चुका पाने पर क्या हैं आपके अधिकार
Loan Defaulter Rights: एनपीए और उसकी श्रेणियां
जब्त की गई संपत्ति को बैंक ‘नॉन-परफॉर्मिंग एसेट’ (एनपीए) के रूप में चिन्हित करता है। एनपीए की तीन श्रेणियां होती हैं: ‘सब-स्टैंडर्ड असेट्स’, ‘डाउटफुल असेट्स’, और ‘लॉस असेट्स’।
पहले वर्ष में, लोन खाता ‘सब-स्टैंडर्ड असेट्स’ में आता है, उसके बाद ‘डाउटफुल असेट्स’, और अंत में जब वसूली की उम्मीद खत्म हो जाती है, तो ‘लॉस असेट्स’ में शामिल किया जाता है।
Loan Defaulter Rights: नीलामी प्रक्रिया और आपके अधिकार
जब संपत्ति नीलामी के लिए तैयार होती है, बैंक इसकी जानकारी सार्वजनिक करता है, जिसमें नीलामी की तारीख, रिजर्व प्राइस, और नीलामी का समय शामिल होता है।
यदि लोन लेने वाले को लगता है कि नीलामी का मूल्य कम है, तो वह इसे चुनौती दे सकता है।
इसके अलावा, यदि नीलामी से प्रापत राशि लोन राशि से अधिक होती है, तो बची हुई राशि को संपत्ति के मूल मालिक को वापस किया जाना चाहिए।
इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि ग्राहक नीलामी प्रक्रिया पर ध्यान दें। नीलामी में बोली लगाने वाले व्यक्ति को भी समय पर भुगतान करना होता है और बैंक को नियमानुसार कार्य करना पड़ता है।
संपत्ति की नीलामी एक पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए और बैंक को उचित नोटिस देने के बाद ही इसे आगे बढ़ाना चाहिए।
अंत में, अगर उधारकर्ता नीलामी से पहले लोन चुका देता है, तो बैंक को नीलामी रोकनी चाहिए और संपत्ति को वापस करना चाहिए। इस तरह, उधारकर्ता के पास अपनी संपत्ति को बचाने का मौका होता है।