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हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: हाईकोर्ट के फैसले ने मचाई हलचल! सीपीएस पर हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला! यहां देखें पूरी ख़बर

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हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर: हिमाचल प्रदेश के न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है।

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इस फैसले में, उन्होंने मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) को मंत्रियों जैसे काम करने और सुविधाएं प्राप्त करने से रोक दिया है। यह निर्णय सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर चल रही एक याचिका के बाद आया है।

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यह मामला न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष रखा गया था। इस पर आगामी सुनवाई 11 मार्च को निर्धारित की गई है।

प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने बताया कि सीपीएस को मंत्रियों की तरह के किसी भी प्रकार के सुख-सुविधा नहीं दी जा रही हैं।

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश में सीपीएस के लिए बनाए गए नियम असम और छत्तीसगढ़ के नियमों से भिन्न हैं। इसी आधार पर उन्होंने तर्क दिया कि सीपीएस को हटाने का कोई औचित्य नहीं है।

इस मुद्दे पर भाजपा नेता सतपाल सत्ती सहित 12 विधायकों ने याचिका दायर की थी। उन्होंने सीपीएस की नियुक्ति को संविधान के अनुच्छेद 164 के विरुद्ध बताया, जिसके अनुसार प्रदेश में 15 प्रतिशत से अधिक मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सकता।

सीपीएस की नियुक्ति के बाद, यह संख्या 17-18 तक पहुँच गई थी, जो कि संविधान के नियमों के खिलाफ है। इसी कारण भाजपा नेता सतपाल जैन ने हाईकोर्ट में एक स्टे एप्लीकेशन दायर की थी। उनका कहना था कि सीपीएस की नियुक्ति संविधान में प्रदत्त प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।

हाईकोर्ट ने इस आवेदन पर विचार करते हुए सीपीएस को मंत्रियों के समकक्ष सुविधाएं और कार्य करने पर रोक लगा दी। यह फैसला सीपीएस के दर्जे और उनके अधिकारों को सीमित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इस केस की अगली सुनवाई 12 मार्च को होनी है, जिसमें अदालत और अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकती है और इस मामले पर आगे के निर्देश या फैसले जारी कर सकती है।

इस सुनवाई के दौरान सीपीएस की भूमिका, उनके अधिकारों और सीमाओं को लेकर और अधिक स्पष्टता की उम्मीद है, जिससे राजनीतिक और कानूनी समुदाय में व्यापक रुचि है। यह सुनवाई राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

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Written by newsghat

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