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हिमाचल में चौंकाने वाला मौसम परिवर्तन: डेढ़ दशक बाद जनवरी में ऐसा नज़ारा! मौसम वैज्ञानिकों ने खोले राज़ देखें रिपोर्ट

हिमाचल में चौंकाने वाला मौसम परिवर्तन: डेढ़ दशक बाद जनवरी में ऐसा नज़ारा! मौसम वैज्ञानिकों ने खोले राज़ देखें रिपोर्ट

हिमाचल में चौंकाने वाला मौसम परिवर्तन: डेढ़ दशक बाद जनवरी में ऐसा नज़ारा! मौसम वैज्ञानिकों ने खोले राज़ देखें रिपोर्ट

हिमाचल में चौंकाने वाला मौसम परिवर्तन: हिमाचल प्रदेश, जिसे अपनी खूबसूरत बर्फबारी के लिए जाना जाता है, इस वर्ष जनवरी में एक असामान्य मौसमी परिवर्तन का सामना कर रहा है।

हिमाचल में चौंकाने वाला मौसम परिवर्तन: डेढ़ दशक बाद जनवरी में ऐसा नज़ारा! मौसम वैज्ञानिकों ने खोले राज़ देखें रिपोर्ट

पिछले 17 सालों में पहली बार, इस क्षेत्र में जनवरी के महीने में बारिश और बर्फबारी की संभावनाएं अत्यंत कम हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे मुख्य कारण है पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर पड़ना।

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हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्र जैसे किन्नौर, लाहौल-स्पीति, चंबा, कुल्लू और शिमला जहां सामान्यतः जनवरी में अच्छी खासी बर्फबारी होती थी, वहां इस बार सिर्फ हल्की बर्फबारी की ही उम्मीद है।

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मैदानी जिलों में कुछ और दिनों तक कोहरा छाया रहने की संभावना है, जिससे सुबह और शाम के समय दृश्यता कम रहेगी। इस वर्ष जनवरी में तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की आशंका है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि इस वर्ष के मौसमी हालात 2007 की जनवरी जैसे हैं। ग्लोबल पैटर्न के बदलाव इसके पीछे एक बड़ा कारण हैं।

पश्चिमी विक्षोभ, जो सर्दियों के मौसम में बर्फबारी का मुख्य कारक होता है, इस बार अपेक्षाकृत कमजोर है। उत्तरी ध्रुव से आने वाली ठंडी हवाएं और भूमध्य सागरीय क्षेत्र से गर्म हवाएं इस बार कम प्रभावी हैं।

वर्ष 2007 में जनवरी के महीने में बारिश और बर्फबारी सामान्य से 99% कम दर्ज की गई थी। इस वर्ष भी जनवरी के पहले 8 दिनों तक बारिश-बर्फबारी में 100% की कमी देखी गई है। आने वाले दिनों में भी मौसमें भी मौसम में बदलाव की उम्मीद कम है।

यह स्थिति न केवल पर्यटन और स्थानीय जीवन पर प्रभाव डाल सकती है, बल्कि यह कृषि और पानी के स्रोतों पर भी असर डाल सकती है।

हिमाचल के लोग और पर्यटक जो सर्दियों के मौसम में बर्फबारी का आनंद उठाते हैं, इस बार निराशा का सामना कर सकते हैं।

सुरेंद्र पॉल ने यह भी कहा कि बर्फबारी मानसून के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, और इसके कम होने से आने वाले मानसून सीजन में बारिश की मात्रा पर अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी।

इस स्थिति को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश के निवासी और प्रशासन मौसम की इस असामान्य गतिविधि के लिए तैयार रहें और संभावित परिणामों के प्रति सचेत रहें।

यह परिवर्तन न सिर्फ हिमाचल में, बल्कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देता है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम सभी मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें और इसे बचाने के लिए प्रयास करें।

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Written by Newsghat Desk

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