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Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी
Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस होना कानूनी अपराध माना गया है और इसमें अभियुक्त को सजा भी हो सकती है। इस लेख में हम चेक बाउंस के मामलों में किस प्रकार की सजा होती है, कैसे बचा जा सकता है और चेक लेने वाले के पास कितने अधिकार होते हैं, इस बारे में विस्तार से जानेंगे।

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले सजा होगी या जुर्माना और बचाव के लिए क्या है रास्ता, पढ़ें पूरी जानकारी

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामले में कानूनी प्रक्रिया

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चेक बाउंस होने के बाद, बैंक चेक देने वाले व्यक्ति को एक चेक रिटर्न मेमो प्रदान करता है। इस मेमो में चेक बाउंस होने का कारण बताया जाता है।

चेक प्राप्तकर्ता को चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर चेक देने वाले को एक नोटिस भेजना चाहिए। इस नोटिस में चेक देने वाले को 15 दिनों के अंदर निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाना चाहिए।

यदि चेक देने वाला निर्दिष्ट समय के भीतर राशि का भुगतान नहीं करता है, तो चेक प्राप्तकर्ता को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत कानूनी कार्रवाई की शुरुआत करने का अधिकार होता है।

चेक प्राप्तकर्ता को धारा 138 के तहत एक शिकायत दर्ज करवाने के लिए न्यायालय में जाना होगा। शिकायत को चेक बाउंस होने के 30 दिनों के अंदर दर्ज करवाना चाहिए।

Cheque Bounce Case: न्यायालय चेक देने वाले को समय-समय पर सुनवाई के लिए बुलाता है। चेक देने वाले को सुनवाई में उपस्थित होना चाहिए।

यदि चेक देने वाला सुनवाई में उपस्थित नहीं होता है, तो न्यायालय उसके खिलाफ अनुपस्थिति वारंट जारी कर सकता है।

सुनवाई के दौरान, चेक प्राप्तकर्ता और चेक देने वाले को अपने पक्ष के सबूत और दलीलें पेश करनी होती हैं।

यदि न्यायालय को चेक देने वाले की दोषी होने का सबूत मिलता है, तो वह उसे जेल भेजने का आदेश दे सकता है। इसके साथ-साथ, न्यायालय चेक देने वाले को चेक की राशि के अलावा किसी अतिरिक्त धनराशि के रूप में जुर्माना भुगतान के लिए निर्देश दे सकता है।

Cheque Bounce Case: विपक्षी पक्ष के वकील की दलील के बाद, न्यायालय अपना निर्णय सुना सकता है। यदि न्यायालय को लगता है कि चेक देने वाला दोषी नहीं है, तो वह उसे बरी कर सकता है।

Cheque Bounce Case: उच्च न्यायालय का रास्ता

यदि किसी भी पक्ष को न्यायालय के निर्णय से संतुष्टि नहीं होती है, तो वह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। अपील की प्रक्रिया के दौरान, प्रतिवादी और अभियोगी को फिर से अपने पक्ष के सबूत और दलीलें पेश करनी होती हैं।

उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय निचली अदालत के निर्णय की समीक्षा करेगा और नई सबूतों और दलीलों को मध्य नजर रखते हुए अपना निर्णय सुनाएगा।

यदि उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय भी चेक देने वाले को दोषी पाता है, तो वह निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रख सकता है या उसे संशोधित कर सकता है। ऐसे मामले में, चेक देने वाले को जेल भेजने के साथ-साथ जुर्माना और/या चेक की राशि का भुगतान करने के लिए निर्देश दिए जा सकते हैं।

यदि उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय चेक देने वाले को बेदोष पाता है, तो वह उसे निचली अदालत के निर्णय से बरी कर सकता है।

इस प्रकार, चेक बाउंस के मामले में कानूनी प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है। इस प्रक्रिया के दौरान, प्रतिवादी और अभियोगी को कई सुनवाईयों में भाग लेना होता है, सबूत और दलीलें पेश करनी होती हैं, और वकीलों की सेवाएं लेनी होती हैं।

Cheque Bounce Case: चेक बाउंस के मामलों को बिना कानूनी प्रक्रिया के समाधान करने के लिए, प्रतिवादी और अभियोगी अपस में सहमति से एक समझौते पर पहुंच सकते हैं। ऐसा करने से समय, पैसा, और संसाधनों की बचत हो सकती है, और प्रक्रिया को सरल और तेज़ बना सकती है।

अंत में, चेक बाउंस के मामलों से बचने के लिए, चेक देने वालों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके खाते में पर्याप्त धनराशि हो। इसके अलावा, चेक प्राप्तकर्ता को भी ध्यान देना चाहिए कि वे समय बर्खास्त किए गए चेकों को प्राप्त नहीं कर रहे हैं।

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Written by newsghat

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