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फिर उठी खनन को उद्योग का दर्जा देने की मांग…

फिर उठी खनन को उद्योग का दर्जा देने की मांग…

खान व्यवसायियों ने उद्योग विभाग के निदेशक के समक्ष उठाया मुद्दा…

JPERC
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हिमाचल चैंबर ऑफ कामर्स भवन में निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति के साथ सिरमौर माइन ऑनर्स व क्रेशर एसोसिएशन के बैठक संपन्न हुई।

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नरेंद्र सिंह ठाकुर अध्यक्ष सिरमौर माइन एसोसिएशन व मदन शर्मा अध्यक्ष क्रेशर एसोसिएशन ने निदेशक राकेश प्रजापति का स्वागत किया और अपनी समस्याओं से अवगत कराया।

सिरमौर माइन एसोसिएशन ने एक लिखित मांगपत्र सौंपते हुए कहा कि जिला सिरमौर का गिरिपार क्षेत्र एक कबायली क्षेत्र है जहाँ सुविधाओं का अभाव है, यहाँ कोई भी ऐसा उद्योग या रोजगार नहीं है जिसमें लोग अपनी रोजी कमा सकें। जब से इस क्षेत्र में खनन कार्य प्रारम्भ हुआ है तब से हर गरीब- अमीर दो जून की रोटी कमा खा रहा है ।

हमारे बच्चे पढ़ लिख कर नेक इन्सान बनने की कोशिश कर रहे है और इस दिशा में खनन व्यवसाय एक मात्र सहारा है हमारे बच्चे पढ़ लिख कर बेरोजगारों की लाईन में खड़े होने की बजाय अपना काम कर रहे हैं।

खनन कार्य के लिये सरकार पटटा देने के अलावा और कोई सहायता नहीं देती खनन पटटेदार अपनी जमा पूंजी लगा कर खान को विकसित करता है और इस व्यवसाय को आगे बढ़ाता है ।

सरकार को इस व्यवसाय से कितना राजस्व मिलता है यह शायद इतना महत्वपूर्ण नही हो लेकिन इस खनन व्यवसाय से कितने लोग रोजी रोटी कमा रहे हैं यह जरूर महत्वपूर्ण है ।

उन्होंने अपनी मांग रखते हुए कहा कि खनन व्यवसाय किसी तरह अपनी जीविका चला रहा था इसी बीच वैश्विक महामारी के कारण सब अस्त व्यस्त हो गया। अब यह व्यवसाय धीरे-धीरे बंद होने के कगार पर पंहुच गया है। कुछ बातें इस विश्वास के साथ लाना चाहते है कि आप इसका समुचित निराकरण करेंगें I

1-खनन को अभी तक उद्योग का दर्जा नहीं मिला है इसलिये खनन को कोई भी वित्त संस्थान वित्तीय सहायता देने को तैयार नहीं है। आज के आधुनिक युग में वैज्ञानिक खनन करने के लिये भारी लागत की आवश्यकता होती है। आप से हमारी प्रार्थना है कि जो रोजगार इतने लोंगों को रोजी-रोटी दे रहा है उसे टूटने से बचाने के लिए खनन को उद्योग का दर्जा देने की कृपा करें ।

2- खनन व्यवसाय की सबसे बड़ी समस्या सरफेस राईट की है जिसके कारण खानों का वैज्ञानिक विकास नहीं हो पाता। जमीन मुवावजा देने के लिए कोई भी खान मालिक मना नहीं करता लेकिन इस व्यवसाय में सबसे अधिक शोषण इसी कारण हो रहा है।

पहले खनन मालिकों को पता था कि केन्द्र सरकार भूमि मुवावजा के सम्बन्ध में एमएमआरडी एक्ट में बदलाव ला रही है लेकिन एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं आया बल्कि रायलिटी का 30% एमडीएफ के रूप में चार्ज किया जा रहा है।

बड़ी आद्योगिक इकाईयों/सीमेंट प्लांट्स को जमीन अधिकृत करके लीज दी जाती है जब कि छोटे खान मालिकों को ऐसी कोई सुविधा नहीं है इसलिए जमीन मालिकों से खान मलिका का विवाद चलता रहता है उनकी नाजायज मांगों को नहीं मानने पर विभागों को शिकायत करना शुरू कर देते हैं और कार्य सुचारु रूप से नहीं चल पाता।

इस सम्बन्ध में हमारा आग्रह है कि यदि राज्य सरकार कोई व्यवस्था करे कि जमीन मालिक का मुवावजा भी सरकार के पास जमा हो जाए और जमीन मालिक अपना हिस्सा वहां से ले ले क्योंकि खान चलाने के लिए उसका सरफेस राइट होना आवश्यक है नहीं तो खान का समुचित विकास नहीं हो पाता ।

3- नई कर प्रणाली में यह प्रावधान है कि GST लागू होने पर सभी कर सम्मिलित हो जायेंगें लेकिन हमसे अभी भी AGT के नाम से अलग से कर लिया जा रहा है I इससे पत्थर की कीमत में इजाफा होता है और हम लोग पड़ोसी राज्यों से बाज़ार में पीछे रह जाते हैं I

4-खनन विभाग की चौकी (कांटा) की तुलाई पहले 40 रूपये थी जिसे विभाग ने इस संकट काल में एकायक 80 रूपये कर दिया यानी 100% की वृद्धि हो गई I

5-यह व्यवसाय पहले ही बहुत मंदी में चल रहा है इसलिए सरकार से सहयोग की अपेक्षा रहती है, अनुरोध है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी खान से कोई शिकायत है तो उसे विभाग पूरी छान बीन करने के बाद कार्यवाही करे I

6-हमारे अधिकतर खान मालिक बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए यदि किसी विभाग की कोई औपचारिकता में कमी रह जाये तो उसे बार बार ना इंगित करें बल्कि एक बार में ही बता दें कि क्या क्या कमियां रह गई हैं.

इस मौके पर जीएम डीआईसी नाहन जीएस चौहान, जिला खनन अधिकारी सुरेश भारद्वाज, आरपी तिवारी, जीएस सैनी, मनीष तोमर सहित खान व क्रेशर ऑनर उपस्थित थे।

Written by newsghat

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